सोमवार, 1 जनवरी 2018

गायब होने का टोटका

माना कि किसी वस्तु को देखना प्रकाश की किरणों के परावर्तन के सिद्धांत पर निर्भर है, लेकिन सिद्धि और घोर साधना से व्यक्ति यदि चाहे तो अपने शरीर को परावर्तन रहित बना सकता है, जिससे वह देखा नहीं जा सकता है। अर्थात उसपर गिरने वाले प्रकाश-पुंज परावर्तित होने के बजाय अवशोषित हो जाए, तो उसमें अदृश्य हो जाने की क्षमता आ जाती है। अष्टांग योग की बारीकियों को बताने वाले महर्षि पतंजलि ने गायब होने की सिद्धि का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि व्यक्ति ध्यान कर गायब होने की तकनीकी शक्ति प्राप्त कर सकता है, जिसमें व्यक्ति द्वारा अपने शब्द, स्पर्श, रूप-रंग व रस आदि पर संयम प्राप्त कर लेता है।
कल्पना शक्तिः गायब हो जाना एक तरह से कल्पना शक्ति का ही कमाल है। जब आप किसी वस्तु की मन में कल्पना करते हैं, तब उसकी मस्तिष्क में एक तस्वीर उभरती है। उसके सामने नहीं होने पर भी उसके होने की अनुभूति होती है। उसके रंग-रूप और आकार-प्रकार का अनुभव किया जा सकता है। यदि आप कल्पना करें कि आपका शरीर पारदर्शी कांच के समान बन गया है और इस काल्पनिकता को सामने वाले के मन में स्थापित करने की सफलता हासिल करने पर एक दृश्य-भ्रम की स्थिति बन जाती है, उसमें ही अदृश्यता के भाव शामिल हो जाते हैं और कल्पना को ही हकीकम समझ लिया जाता है। यहीं से सम्मोहन या वशीकरण का ऐहसास होता है, जिसका लाभ विविध समास्याओं से मुक्ति पाने के क्रम में लिया जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को अपनी कल्पनाशीलता की पहचान कर और उसे हमेशा सकारात्मक रूख देने की कोशिश करनी चाहिए।
मंत्र का प्रभावः अदृश्यता के लिए उपयोग किया जाने वाला मंत्र हजारों अरबों किमी दूर ग्रह-नक्षत्रों को प्रभावित करता है। इसके जानकार बताते हैं कि मंत्रों के उच्चारण से करोड़ों बार ध्वनि तरंग पैदा की जा सकती है। इसमें गजब की ताकवर ऊर्जा होती है, जो अणुओं को भी छेद कर सकती है। अर्थात मंत्र की शक्ति का प्रभाव किसी ध्वनि के सुने बगैर होता है। जब हम मंत्र जाप करते हैं तब कान से खास तरह की ध्वनि निकलती है। जाप के विभिन्न स्तर होते हैं। एक सुना जाने वाला होता जाप वाचिक कहलाता है, जबकि दूसरा उपंशु में किसी भी तरह की ध्वनि नहीं होती है। तीसरा, मौन या मानसिक जाप होता है। इन सभी में घ्वनि की अलग-अलग शक्तियां होती हैं। इस अधार पर पाया गया है कि जाप में भावनात्मक प्रवाह जिस स्तर का होता है, आंतरिक ऊर्जा का समवेश भी उसकी स्तर का विस्फोटक क्षमता लिए रहता है। यही कारण है कि सामूहिक जाप को विशिष्ट माना गया है। प्रत्येक मंत्र में देवी-देवताओं की शक्ति समाहित होती है।
अदृश्य होने का अघारे मंत्रः तांत्रिक विद्या के अनुसार अदृश्य होने का एक बहुत ही कारगर  अघोर मंत्र बताए गए हैं। वे इस प्रकार हैंः-
ऊँ ह्रीं क्लीं ऐं आसुरी रक्त वाससे अघोर,
अघोर कर्म करिके अदृश्य कुरु कुरु ह्रीं ऐं ऊँ!!
इस मंत्र का जाप तांत्रिक द्वारा बताए गए विधि-विधान से आधी रात्रि में किया जाना चाहिए। इसका प्रयोग मुख्यतः किसी को वशीकरण करने अपनी महत्वाकांक्षा पूर्ति के लिए किया जाता है।
एकाग्रता बनाम अदृश्यताः किसी वस्तु के अदृश्य हो जाना त्राटक साधना से संभव हो पाता है, जिसमें एकाग्रता बनाए रखने के कई गुण व रहस्य छिपे हैं। इसे आसानी से प्रयोग किए जाने वाले एक उदाहरण से समझा जा सकता है। एक वर्गफुट के सादे कागज के बीच में काली स्याही से एक इंच व्यास की एक गोलाकार आकृति बनाकर उस कागज को एक ड्राईंग बोर्ड पर इस प्रकार टांगें कि आपके पालथी मारकर आरामदायक मुद्र में बैठने की स्थिति में वह बिल्कुल आपकी आंखों के सामने दिखे। कमरे में अब उसके सामने हल्की रोशनी करें। समय रात्रि का हो तो अच्छा है। अर्थात चारो तरफ शांत-एकांत वातावरण बना रहे।
कुछ समय तक उस काले गोले को बगैर पलक झपकाए देखते रहें। इस दौरान मन में किसी भी तरह के बाहरी विचार को नहीं आने दें। कुछ समय में ही आप पाएंगे कि काला गोला चमकीला हो गया है और वह गायब हो गई है। उसे स्थान पर आप वैसे प्रकाश पूंज को निकलता हुआ अनुभव करेंगे, जो आंखों के चुंधिया देगी और आंखों से पानी आने लगेंगे। इसे ध्यान और एकाग्रता के लिए एक अच्छा प्रयोग बताया गया है।
समस्या और समाधानः गायब होने के कुछ अचूक प्रयोग और टोटके व्यक्ति के जीवन में काफी महत्वपूर्ण होते हैं, जो उसके ध्यान की शक्ति पर निर्भर है। अर्थात अपनी आंतरिक शक्ति को वैदिक और तांत्रिक अनुष्ठानों के जरिए एकाग्रता को सकारात्मक प्रभाव देने वाली ऊर्जा में बदल सकते हैं। आईए जानते हैं कि इसके लिए प्रयोग में अनेवाले तंत्र-मंत्र-यंत्र के द्वारा अपनाए जाने वाले टोटके के बारे में, जिनसे जीवन के हर मोर्च पर  विकट समस्याओं का समाधान मिल सकता है।
  • एक वैदिक मंत्र है- ऊँ श्रीं श्रीये नमः। एकाग्रता और कामकाज के प्रति दिलचस्पी बढ़ाने वाले इस मंत्र का अगर 108 बार जाप किया जाए और उसके बाद सात वर्ष की कम उम्र वाली कन्याओं का श्रद्धापूर्वक भोजन करवाया जाए तब धन-संपदा और सुख-एश्वर्य की देवी प्रसन्न होती हैं।
  • साधना के चार प्रकर- तंत्र साधना, मंत्र साधना, यंत्र साधना और योग साधना में से किसी एक को साधने को आजमाने के क्रम में विश्वास, श्रद्धा, नियमबद्धता का पालन किया जाना जरूरी है, तो इसके लिए बताए गए मंत्रों की निश्चित संख्या में जाप कर एकाग्रता को बढ़ाया जा सकता है। इस स्थिति में किसी भी समस्या के समाधान को दूर करने का प्रयास सफल हो सकता है।
  • अदृश्य होने की शक्ति का तात्पर्य छिपी हुई क्षमता और योग्यता से भी है। यह ऊँ मंत्र के उच्चारण से भी संभव है। य न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि रोजमर्रे की जिंदगी में आने वाले तनाव को भी कम करता है। अनिद्रा और उच्च रक्तचाप के शिकार व्यक्ति को पद्मासन में बैठकर ऐसा करना चाहिए। यह अदृश्यता की ओर ले जाने का एक अद्भुत जरिया बन सकता है।

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