शास्त्रों में क्या है प्रेम विवाह का महत्व
हिंदू धर्म में 8 प्रकार के विवाह का विधान है जिसमें ब्रह्मा विवाह को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और पैशाच विवाह को सबसे नीचे की श्रेणी में रखा गया है। शास्त्रों के अनुसार गंधर्व विवाह को ही प्रेम विवाह कहा गया है। गंधर्व विवाह के अंतर्गत स्त्री और पुरुष अपनी मर्जी और अपनी पसंद से एक दूसरे से विवाह करते हैं।
किसका होता है प्रेम विवाह
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति का प्रेम विवाह होगा या नहीं ये उसकी कुंडली से ज्ञात किया जा सकता है। कुंडली में विराजमान ग्रहों की स्थिति से यह पता लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति के जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं। तो आइए जानते हैं कि किस तरह कुंडली से प्रेम विवाह के योग के बारे में पता लगाया जा सकता है।
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली का सप्तम भाव विवाह का भाव होता है। यदि सप्तम भाव का संबंध कुंडली के तीसरे, पांचवे, नौंवे या बारहवें भाव से हो तो उस जातक का प्रेम विवाह होता है।
– लग्न स्थान के स्वामी और सप्तम भाव के स्वामी के बीच युति हो तो ऐसी स्थिति में जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
– सौरमंडल के ग्रह गुरु और शुक्र विवाह के कारक ग्रह माने जाते हैं। लड़कियों की कुंडली में गुरु का पाप प्रभाव में होना और लड़के की कुंडली में शुक्र का पाप प्रभाव में होना प्रेम विवाह के योग का निर्माण करता है।
– इसके अलावा यदि लग्न भाव का स्वामी, पंचमेश के साथ युति कर रहा हो या दोनों का आपस में दृष्ट संबंध हो या राशि परिवर्तन हो तो उस जातक के प्रेम विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
– सप्तम या पंचम भाव या इन भावों के स्वामी पर राहु का प्रभाव हो या इन भावों का स्वामी तीसरे, पांचवें, सातवें, ग्यारहवें या बारहवें भाव में बैठा हो तो उस व्यक्ति का निश्चित ही प्रेम विवाह होता है।
– यदि कुंडली के नवम स्थान में धनु या मीन राशि हो या शनि या राहु की दृष्टि सप्तम, नवम या गुरु पर पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में उस जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
– जिसकी कुंडली में सप्तम भाव में राहु के साथ मंगल हो तो उसका प्रेम विवाह संभव है।
– यदि लग्न भाव में लग्नेश के साथ चंद्रमा बैठा हो तो उस व्यक्ति का प्रेम विवाह होता है। वहीं सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ चंद्रमा विराजमान हो तो भी उस जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
– शुक्र ग्रह, प्रेम का प्रतीक है और गुरु विवाह का कारक है। कुंडली में इन दो ग्रहों की स्थिति और दशा पर भी प्रेम विवाह निर्भर करता है।
ये हमने बताया कि कुंडली में ग्रहों की कैसी स्थिति में प्रेम विवाह के योग बनते हैं। अब हम आपको बताते हैं कि प्रेम विवाह के इच्छुक जातकों को अपनी राह में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। यदि आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं लेकिन आपको परिवार की अनुमति नहीं मिल रही है या अन्य कोई समस्या आपके प्रेम विवाह के बीच आ रही है तो ये उपाय इस काम को पूरा करने में आपकी मदद कर सकते हैं। जानिए प्रेम विवाह के उपाय -:
– प्रेम का प्रतीक हैं भगवान कृष्ण। आपने अगर उन्हें प्रसन्न कर लिया तो समझो आपके प्रेम विवाह की सारी मुश्किलें ही दूर हो गईं। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए किसी कृष्ण मंदिर में भगवान कृष्ण को पान और बांसुरी भेंट करें।
– यदि किसी के प्रेम विवाह में रुकावटें आ रहीं है तो वह व्यक्ति मां दुर्गा की उपासना करे। मां दुर्गा के मंदिर में लाल रंग की ध्वजा चढ़ाएं। इस उपाय को करने से आपको अवश्य ही लाभ होगा।
– अगर आप प्रेम विवाह के इच्छुक हैं तो आप भगवान शिव के स्वरूप शिवलिंग का शहद से रुद्राभिषेक करें। भगवान शिव की कृपा से आपको मनचाहा जीवनसाथी अवश्य मिलेगा।
– दांपत्य सुख के प्रतीक भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन से भी विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं। नियमित रूप से मंदिर जाकर शिव-पार्वती की आराधना करें।
– गुरु विवाह का कारक हैं तो उन्हें भी प्रसन्न करने से आपके विवाह में आ रहीं सभी बाधाएं दूर होती हैं।
प्रेम विवाह के लिए करें इन मंत्रों का जाप
– जो पुरुष प्रेम विवाह करना चाहते हैं वे श्रीकृष्ण के “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा” मंत्र का रोज़ 108 बार जाप करें। इस उपाय से अवश्य ही आपको लाभ होगा।
– शुक्ल पक्ष के किसी भी गुरुवार को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति के आगे स्फटिक की माला से ‘ऊँ लक्ष्मी नारायणाय नमः’ का रोज़ 108 बार जाप करें। आपको इस उपाय को लगातार तीन महीने तक करना है।
– अपने प्रेमी का स्मरण करते हुए ‘ॐ क्लीं कृष्णाय गोपीजन वल्लभाय स्वाहा:’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इस मंत्र का जाप करने के साथ ही श्रीकृष्ण की आराधना भी करें। शुक्रवार के दिन राधाकृष्ण की मूर्ति के आगे बैठकर ही इस मंत्र का जाप करें। तीन माह के अंदर ही प्रेम विवाह से जुड़ी आपकी सभी परेशानियां अवश्य ही दूर होंगीं। इस मंत्र के अलावा आप ‘केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता, रूद्र रूपा रूद्र मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता’ मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
– अपने प्रेम विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए दूध में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग के समक्ष रुद्राक्ष की माला से भगवान शिव के चमत्कारिक मंत्र ‘ॐ सोमेश्वराय नमः’ का 108 बार जाप करें। भगवान शिव की कृपा से निश्चित ही आपके विवाह की सभी बाधाएं दूर होंगीं।
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