शनिवार, 23 मार्च 2019

माँ कामाख्या वशीकरण मंत्र

 आप माँ कामाख्या वशीकरण मंत्र साधना के बारे में जानना चाहते है ? मां कामाख्या देवी कुल 51 शक्ति पीठों में सबसे शक्तिशाली हैं, जो भारत के असम की राजधानी गुवाहाटी के पास दिसपुर मं कमरू नाम के स्थान पर सदियों से स्थित है। इसका विशेष महत्व शक्ति की देवी सती मंदिर के साथ-साथ तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए भी है। इसके तांत्रिक महत्व के कारण यह प्राचीनकाल से एक अद्भुत तीर्थ बना हुआ है। यहां भगवती की योनि-कुंड के प्रत्येक वर्ष जून माह में  तीन दिनों तक अंबूवाची योग पर्व मनाए जाने की परंपरा है। वास्तव में यह सती के राजस्वला पर्व है, जिसमें विश्व के तांत्रिकों, साधु-संतों, अघोरियों और मंत्र साधकों का जमावड़ा लगता है। ऐसी मान्यता है कि इन तीन दिनों में योनि-कुंड से रक्त प्रवाहित होता है।
माँ कामाख्या वशीकरण मंत्र
माँ कामाख्या वशीकरण मंत्र
धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महादेव शिव की पत्नी सती के हवन कुंड में कूद पड़ने के बाद शरीर का अंग-भंग हो गया। महादेव उसे बचाने के लिए कंधे पर लादे जहां-जाहं गए वहां सती के अंगों के टुकड़े गिरते चले गए। वे जहां भी गिरे कालांतर में शक्ति पीठ के तौर पर विख्यात हो गए। कमरू नामक स्थान पर माता सती की योनि गिरी थी, और यह भगवती के गर्भगृह के रूप में विख्यात पीठ कहलाया।
इसी पीठ अर्थात माता कामाख्या देवी की पूजा-आराधना से मनोवांछित मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। यहां वशीकरण के तंत्र-मंत्र की साधना और सिद्धि जैसे अनुष्ठानिक कार्य पूरे मानोयोग से करने पर मनोवांछित सिद्धि प्राप्ति होती है। इस साधना से व्यक्ति का मनोभाव नकारात्मक से सकारात्मक बन जाता है। कोई चाहे कितना भी मन में नकारत्मक दुष्प्रभाव से ग्रसित क्यों न हो वह मां कामाख्या मंत्र से स्वाभाविक सकारात्मकता और रचानात्मक प्रभाव से अभीभूत हुए बगैर नहीं रह पात है। इसके लिए विशिष्ट सिद्धि की प्राप्ति विधि-विधान से किए गए कामाख्या मंत्र-जाप से ही संभव है।
ऐसी मान्यता है कि कामाख्या-मंत्र के जाप से शक्ति उपासना के तमाम कार्य पूरे हो जाते हैं इसलिए सभी देवी-देवताओं के उपासकों को यह पूजा अवश्य करनी चाहिए। कामाख्या मंत्र को कल्पवृक्ष भी कहा गया है, क्योंकि यह मंत्र मन की हर मुराद को पूरा करता है। हर विध्न-बाधा को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप वर्ष में एक बार अवश्य करने की सलाह दी गई है। सर्वाधिक असरकारी और लोकप्रिय मंत्र विनियोग, ऋषादि न्यास, कर न्यास और अंग न्यास के रूप में इस प्रकार हैः-
ओम् अस्य कामाख्या मंत्रस्य श्री अक्षोभ्य
ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः, श्रीकामाख्या देवता, सर्व-सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगः।
श्रीअक्षोभ्य-ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप्-छंदसे नमः मुखे,
श्रीकामाख्या-देवतायै नमः हृदि,सर्व-सिद्धि-प्राप्त्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे।
मां कामाख्या के रूप सामान्य देवी की तरह ही हैं। उनकी दो भुजाएं हैं और वह लाल वस्त्र धारण किए विभिन्न रत्नों से सुशोभित सिंहासन पर बैठी रहती हैं। वह तिलक और सिंदूर लगाए हुए है। उनके मुखमंडल से चंद्रमा समान निर्मलता, उज्ज्वलता और मुखाकृति कमल जैसी सुंदरता सहजता से स्पष्ट प्रस्फुटित होती है।  उनकी आंखें बड़ी-बड़ी हैं और बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड सोने के बने आभूषण भी पहने रहती हं।
यह देवी समस्त विद्याओं की जानकार और सर्वगुण संपन्न है। इस कारण इनमें सरस्वती और लक्ष्मी के रूपों के भी दर्शन किए जा सकते हैं। इन्हें त्रिनेत्रा भी कहा जाता है। इस देवी का ध्यान कर ही इन मंत्रों के जाप का लाभ मिल सकता है। कारण कामाख्या सरस्वती और लक्ष्मी से युक्त देवी हैं। कामाख्या देवी का आवाहन् और पूजा करने का मंत्र हैः-
कामाख्ये काम-संपन्ने, कामश्वरी! हर-प्रिय।
कामनां देहि में नत्यिं, कामेश्वरि! नमास्तु ते।।
कामदे काम-रूपस्थे, सुभगे सुर-सेविते।                                                                 
करोमि दर्शनं देव्याः, सर्व-कामार्थ-सिद्धये।।
इस प्रर्थाना का अर्थ इस प्रकार हैः- हे कामाख्या देवी! आप भगवान शिव की प्रिय हैं और कमाना पूरी करने वाली कामना की अधिष्ठत्री हैं। आपसे सदा शुभकामनाओं की अपेक्षा रखता हूं। मेरी कामनाओं को सिद्ध करें। हे कामना को पूर्ण करने वाली देवी! आप सभी कामना देने वाली सुंदरी और देवगणों से सेविता देवि हैं। मैं सभी कामनाओं की सिद्धि के लिए आपके दर्शन करता हूं।
इसके अतिरिक्त कामाख्या देवी का एक महत्वपूर्ण मंत्र 22 अक्षरों का है, जिसे कामाख्या तंत्र कहा जाता है। वह मंत्र हैः- त्रीं त्रीं त्रीं हूंहूं स्त्रीं स्त्रीं कामाख्ये प्रसीद स्त्रीं हूं हूं त्रीं त्रीं त्रीं स्वाहा!!
इस मंत्र के जाप से माहापाप को खत्म किया जा सकता है तथा धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति संभव है। इनका मूल शक्ति है। तीन त्र-अक्षर वाले इस मंत्र का जाप करने वाला साधक मंत्रोच्चारण में पूरी तन्मयता के साथ रम जाता है और देवी में ध्यानमग्न होकर साक्षात देवी-स्वरूप बन जाता है।
कामाख्या तंत्र में गुरु-तत्व का भी समावेश है तथा इससे ज्ञान की श्रेष्ठता का एहसास होता है। यही कारण है कि ज्ञान के लिए कामाख्या देवी की उपासना की जाती है। इसके अतिरिक्त कामख्या तंत्र से मुक्ति के चारों प्रकार सालोक्य, सारूप्य, सायुज्य और निर्वाण का सौभाग्य प्राप्त होता है। सालोक्य मुक्ति से जहां देवों के संसार में निवास का सौभग्य मिल सकता है, वहीं सारूप्य से ईश्वरत्व के अंश को प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह से सायुज्य देवों की कला से जुड़ना संभव होता है और निर्वाण मुक्ति अनैतिकता वाले नकारात्मक व्यक्तित्व का क्षय होता है।
कामाख्या सिंदूरः विवाहिताओं के लिए देवी कामाख्या के सिंदूर का अतिविशिष्ट महत्व है। इसे बोलचाल की भाषा में कमिया सिंदूर भी कहा गया है, जो कामरुप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है। इसे आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता है। इसकी प्राप्ति  विशेष तरह के मंत्र के 108 बार जाप से सिद्ध किया जाता है। उसक बाद ही विवाहिताएं इसका इस्तेमाल मनोकमनाओं की पूर्ति के लिए करती हैं। सदियों से चली आ रही मान्यता और अटूट विश्वास के अनुसार जो कोई कामाख्या सिंदूर का प्रयोग करता है उसपर देवी मां की कृपा बनी रहती है। यह सिंदूर वशीकरण, जादू-टोना, गृह-कलेश, कारोबार में बाधा, विवाह या प्रेम की समस्या या दूसरी तरह की भूत-प्रेत बाधा की समस्याओं को दूर करता है। इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर मांगलिक आयोजनों में किया जाता है।
इस सिंदूर को चांदी की डिब्बी में रखकर मंत्र ‘कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी! त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते!! ’ का उच्चारण 108 बार करना चाहिए। इसका जाप चुटकी में सिंदूर लेकर 11 या 7 बार शुक्रवार को शुरू कर सात दिनों तक करना चाहिए। मंत्र के उच्चारण के समय हथेली में गंगाजल, केसर, चंदन को मिलाकर माथे पर तिलक लगाना चाहिए। इस जाप को स्त्री या पुरुष किस के द्वारा भी किया जा सकता है। इसे लगाने के कार्य भी मंत्रोच्चारण के साथ किया जाना चाहिए।
वह मंत्र हैः- कामाख्याम कामसम्पन्ना कामेश्वरी हरप्रिया द्य
कमाना देहि में नित्य कामेश्वरी नमोस्तुते द्यद्य  CALL  9812052465

कामदेव वशीकरण मन्त्र

क्या किसी को वशीभूत करने के लिए कामदेव वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाहते है? स्त्री-पुरुष के बीच आपसी प्रेम, सौंदर्य और काम भावना के प्रति आकर्षण के लिए कामदेव को याद किया जाता है। कामदेव को लेकर हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई मान्याताएं हैं और इनके संबंध भगवान शिव, ब्रह्मा, गंधर्व के अतिरिक्त प्रेम व आकर्षण की देवी रति के साथ बताए गए हं। कामदेव से जुड़ी कई पौराणिक गाथाएं भी मशहूर हैं, तो इनकी आराधना स्त्री-सम्मोहन या वशीकरण के लिए श्रेष्ठ बताया गया है, तो इसके लिए खास मंत्रजाप की महत्ता बताई गई है।
कामदेव वशीकरण मन्त्र
कामदेव वशीकरण मन्त्र
कौन हैं कामदेव?
अथर्ववेद के अनुसार ‘काम’ का अर्थ कामेच्छा या आकर्षण से है तो ‘देव’ का अर्थ विशिष्ट शख्सियत से होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं, जिनका विवाह रति के साथ हुआ। रति को सौंदर्य, सम्मोहन और प्रेम की देवी कहा गया है। कामदेव को ही अर्धदेव या गंधर्व भी कहा गया है, जिन्हें स्वर्गलोक के वासियों में कामेच्छा जगाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
शिव महापुराण की एक कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता के द्वारा पति के अपमानित होने पर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव काफी आहत और विचलित होने के बाद सभी तरह के बंधनों और रिश्ते-नाते को तोड लिया था। तमाम सांसारिक मोह-माया को त्यागकर तप में लीन हो गए थे। उनके इस तप को कामदेव ने ही अपने तीर से भंग किया था और उनमें देवी पार्वती के प्रति वशीकरण की भावना विकसित की थी।
कामदेव का संबंध भले ही प्रेम और कामेच्छा से हो, लेकिन जीवन में इनकी सकारात्मक भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। यह कह सकते हैं कि कामदेव व्यक्ति को न केवल ऊर्जान्वित करने वाले देव हं, बल्कि इनकी उपयोगिता और उपस्थिति संबंध के तकाजे पर सम्मोहन को भी परिभाषित करता है। पश्चिमी देशों में क्यूपिड और यूनानी देशों में इरोस के नाम से प्रेम का प्रतीक माने गए कामदेव ही हैं, जिन्हें हिदूं ग्रंथों में प्रेम और सम्मोहन के देवता की संज्ञा दी गई है।
क्या है कामदेव वशीकरण मन्त्र?
सुंदर ताते जैसा दिखने वाले पक्षी के सुनहले पंखों पर सवारी करने वाले कामदेव सुदर्शन युवक की तरह दिखते हैं, जो अपनी हाथों में मोहक और मादक सुगंधों वाले फूलों के वाण लिए होते हैं। उनके इसी स्वरूप के अनुसार उनमें विपरीत लिंग के व्यक्ति को अकर्षित करने की अद्भुत क्षमता होती है। प्रेम को या फिर परिणय के उपरांत बने वाले नए संबंध में मधुरता लानी हो, कामदेव की उपासना को महत्वपूर्ण माना गया है। यह तंत्र-मंत्र विज्ञान से संभव हो पाता है। यह कहा जा सकता है किसी प्रेमिका या पत्नी को वश में करने के लिए कामदेव एकमात्र अनूठे और सर्वज्ञेष्ठ देवता हैं।
कामदेव वशीकरण मंत्र साधना 
कामदेव की आराधना उनके क्लं मंत्र से की जाती है। इस मंत्र को अनुष्ठानिक विधियों के अनुसार उपयोग करने पर मनोवांछित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। कामदेव के क्लीं मंत्र का प्रतिदिन पाठकर  सामने वाले व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में मनोवांछित संवेदना जागृत की जा सकती है। इससे उत्पन्न संवेदनशीलता से न केवल भावनात्मक सम्मोहन होता है और वे दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं, बल्कि स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता है।
इसके मंत्र का जाप 21 दिनों तक 108 बार सूर्योदय से पहले और रात्री में करने की सलाह दी जाती है। सच्चे मन और ध्यान से जाप करने से कामदेव मंत्र की सिद्धि हो जाती है, जिससे न केवल किसी व्यक्ति को आकर्षित किया जाता है, बल्कि उसके सम्मोहन या वशीकरण को बनाए भी रखा जा सकता है। परंतु हां, कुछ आवश्यक शर्तों के तौर पर मंत्र जाप के दिनों में शाकाहारी भोजन करना आवश्यक है।
मंत्र जाप की समाप्ति के बाद पूर्णहुती हवन, तर्पण और मर्जन के द्वारा विधि-विधान के साथ किया जाता है। जाप के क्रम में प्रिय व्यक्ति की पसंद का फल या कोई मिठाई रखें तथा अभिमंत्रित खाने की वस्तु को सम्मोहन किए जाने वाले व्यक्ति को खिलाएं। इसका चमत्कारी प्रभाव देखने को मिलता है। इसके प्रयोग की खास बात यह है कि इसका किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।
कामदेव वशीकरण का मुख्य मंत्र इस प्रकार हैः-
ओम नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय
सर्व-जन-सम्मोहनाय
ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,
सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।
यह मंत्र इतना अधिक प्रभावशाली है कि इसके प्रतिदिन छह हजार बार जाप करने से शुत्र या फिर लंबे समय से रूठी पत्नी या गलतफहमी की शिकार हुई प्रेमिका तक को वशीभूत किया जा सकता है। इस मंत्र की कुछ खूबियां इस प्रकार हैंः-
  • प्रेमियों को इस मंत्र से न केवल समस्त वाधाएं दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि उनका प्रेम वासना रहित निश्छलता लिए हुए सभी के द्वारा सहर्ष स्वीकार्य होता है। यह कहें कि उनके प्रेम-संबंध की विश्वसनीयता बढ़ जाती है और पारिवारिक-सामाजिक प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं आती है।
  • यदि आप विपरीत लिंग के प्रिय व्यक्ति को आकर्षित करना चाहते हैं तो इस मंत्र का नियमित कम-से-कम 11 बार या 108 बार जाप कर सकते हैं।
  • दांपत्य जीवन में तनाव और अनावश्यक झगड़े से आई रिश्ते की कड़वाहट को इस सिद्ध मंत्र के जाप से खत्म किया जा सकता है।
  • कामदेव वशीकरण मंत्र के द्वारा यौन क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलती है। कामदेव का शाबर मंत्र से शुक्र ग्रह को शक्तिशाली प्रभाव का बनाया जा सकता है तरे कामदेव को खुश किया जा सकता है। वह मंत्र हैः- ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहाः। ऐसा विश्वास है कि इस मंत्र से न केवल जीवनसाथी के प्रति सम्मोहन शक्ति बढ़ती है, बल्कि यौन क्षमता में भी वृद्धि होती है।
  • यदि किसी को सुयोग्य जीवन साथी की तलाश हो तो वे इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र हैः- ओम कामदेवाय विद्महेरति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंत प्रचोदयात। यह मंत्र दांपत्य मं प्रेम संबंध को भी प्रगाढ़ बनाता है।
  • रूठे हुए जीवनसाथी को मनाने के लिए तो यह मंत्र रामवाण की तरह कार्य करता है। यदि जीवनसाथी लाख मनाने पर भी मानने के तैयार नहीं हो उसकी आपके प्रति गलतफहमी दूर नहीं हो रही हो तब ऐसी स्थिति में जीवनसाथी के सामने जाएं। अपनी सच्ची भावना को प्रकट करें। संभव हो तो अपनी किसी भूल के लिए क्षमा मांगें। यह सब करने से पहले नीचे दिए गए मंत्र का प्रतिदिन दिन सुबह, दोपहर और रात्री में 108 बार जाप करें। ऐसा तबतक करें जबतक कि जीवनसाथी का दिल पिघल न जाए और आपके प्रति वह वशीभूत न हो जाए।
मंत्रः  ओम नमः काम-देवाय।
 सहल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनमदर्शनं
उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहाः    CALL- 9812052465

कामदेव वशीकरण मन्त्र

क्या किसी को वशीभूत करने के लिए कामदेव वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाहते है? स्त्री-पुरुष के बीच आपसी प्रेम, सौंदर्य और काम भावना के प्रति आकर्षण के लिए कामदेव को याद किया जाता है। कामदेव को लेकर हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई मान्याताएं हैं और इनके संबंध भगवान शिव, ब्रह्मा, गंधर्व के अतिरिक्त प्रेम व आकर्षण की देवी रति के साथ बताए गए हं। कामदेव से जुड़ी कई पौराणिक गाथाएं भी मशहूर हैं, तो इनकी आराधना स्त्री-सम्मोहन या वशीकरण के लिए श्रेष्ठ बताया गया है, तो इसके लिए खास मंत्रजाप की महत्ता बताई गई है।

कामदेव वशीकरण मन्त्र
कामदेव वशीकरण मन्त्र

कौन हैं कामदेव?

अथर्ववेद के अनुसार ‘काम’ का अर्थ कामेच्छा या आकर्षण से है तो ‘देव’ का अर्थ विशिष्ट शख्सियत से होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं, जिनका विवाह रति के साथ हुआ। रति को सौंदर्य, सम्मोहन और प्रेम की देवी कहा गया है। कामदेव को ही अर्धदेव या गंधर्व भी कहा गया है, जिन्हें स्वर्गलोक के वासियों में कामेच्छा जगाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।

शिव महापुराण की एक कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता के द्वारा पति के अपमानित होने पर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव काफी आहत और विचलित होने के बाद सभी तरह के बंधनों और रिश्ते-नाते को तोड लिया था। तमाम सांसारिक मोह-माया को त्यागकर तप में लीन हो गए थे। उनके इस तप को कामदेव ने ही अपने तीर से भंग किया था और उनमें देवी पार्वती के प्रति वशीकरण की भावना विकसित की थी।

कामदेव का संबंध भले ही प्रेम और कामेच्छा से हो, लेकिन जीवन में इनकी सकारात्मक भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। यह कह सकते हैं कि कामदेव व्यक्ति को न केवल ऊर्जान्वित करने वाले देव हं, बल्कि इनकी उपयोगिता और उपस्थिति संबंध के तकाजे पर सम्मोहन को भी परिभाषित करता है। पश्चिमी देशों में क्यूपिड और यूनानी देशों में इरोस के नाम से प्रेम का प्रतीक माने गए कामदेव ही हैं, जिन्हें हिदूं ग्रंथों में प्रेम और सम्मोहन के देवता की संज्ञा दी गई है।

क्या है कामदेव वशीकरण मन्त्र?

सुंदर ताते जैसा दिखने वाले पक्षी के सुनहले पंखों पर सवारी करने वाले कामदेव सुदर्शन युवक की तरह दिखते हैं, जो अपनी हाथों में मोहक और मादक सुगंधों वाले फूलों के वाण लिए होते हैं। उनके इसी स्वरूप के अनुसार उनमें विपरीत लिंग के व्यक्ति को अकर्षित करने की अद्भुत क्षमता होती है। प्रेम को या फिर परिणय के उपरांत बने वाले नए संबंध में मधुरता लानी हो, कामदेव की उपासना को महत्वपूर्ण माना गया है। यह तंत्र-मंत्र विज्ञान से संभव हो पाता है। यह कहा जा सकता है किसी प्रेमिका या पत्नी को वश में करने के लिए कामदेव एकमात्र अनूठे और सर्वज्ञेष्ठ देवता हैं।

कामदेव वशीकरण मंत्र साधना

कामदेव की आराधना उनके क्लं मंत्र से की जाती है। इस मंत्र को अनुष्ठानिक विधियों के अनुसार उपयोग करने पर मनोवांछित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। कामदेव के क्लीं मंत्र का प्रतिदिन पाठकर  सामने वाले व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में मनोवांछित संवेदना जागृत की जा सकती है। इससे उत्पन्न संवेदनशीलता से न केवल भावनात्मक सम्मोहन होता है और वे दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं, बल्कि स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता है।

इसके मंत्र का जाप 21 दिनों तक 108 बार सूर्योदय से पहले और रात्री में करने की सलाह दी जाती है। सच्चे मन और ध्यान से जाप करने से कामदेव मंत्र की सिद्धि हो जाती है, जिससे न केवल किसी व्यक्ति को आकर्षित किया जाता है, बल्कि उसके सम्मोहन या वशीकरण को बनाए भी रखा जा सकता है। परंतु हां, कुछ आवश्यक शर्तों के तौर पर मंत्र जाप के दिनों में शाकाहारी भोजन करना आवश्यक है।

मंत्र जाप की समाप्ति के बाद पूर्णहुती हवन, तर्पण और मर्जन के द्वारा विधि-विधान के साथ किया जाता है। जाप के क्रम में प्रिय व्यक्ति की पसंद का फल या कोई मिठाई रखें तथा अभिमंत्रित खाने की वस्तु को सम्मोहन किए जाने वाले व्यक्ति को खिलाएं। इसका चमत्कारी प्रभाव देखने को मिलता है। इसके प्रयोग की खास बात यह है कि इसका किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।

कामदेव वशीकरण का मुख्य मंत्र इस प्रकार हैः-

ओम नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय

सर्व-जन-सम्मोहनाय

ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,

सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।

यह मंत्र इतना अधिक प्रभावशाली है कि इसके प्रतिदिन छह हजार बार जाप करने से शुत्र या फिर लंबे समय से रूठी पत्नी या गलतफहमी की शिकार हुई प्रेमिका तक को वशीभूत किया जा सकता है। इस मंत्र की कुछ खूबियां इस प्रकार हैंः-

प्रेमियों को इस मंत्र से न केवल समस्त वाधाएं दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि उनका प्रेम वासना रहित निश्छलता लिए हुए सभी के द्वारा सहर्ष स्वीकार्य होता है। यह कहें कि उनके प्रेम-संबंध की विश्वसनीयता बढ़ जाती है और पारिवारिक-सामाजिक प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं आती है।
यदि आप विपरीत लिंग के प्रिय व्यक्ति को आकर्षित करना चाहते हैं तो इस मंत्र का नियमित कम-से-कम 11 बार या 108 बार जाप कर सकते हैं।
दांपत्य जीवन में तनाव और अनावश्यक झगड़े से आई रिश्ते की कड़वाहट को इस सिद्ध मंत्र के जाप से खत्म किया जा सकता है।
कामदेव वशीकरण मंत्र के द्वारा यौन क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलती है। कामदेव का शाबर मंत्र से शुक्र ग्रह को शक्तिशाली प्रभाव का बनाया जा सकता है तरे कामदेव को खुश किया जा सकता है। वह मंत्र हैः- ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहाः। ऐसा विश्वास है कि इस मंत्र से न केवल जीवनसाथी के प्रति सम्मोहन शक्ति बढ़ती है, बल्कि यौन क्षमता में भी वृद्धि होती है।
यदि किसी को सुयोग्य जीवन साथी की तलाश हो तो वे इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र हैः- ओम कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंत प्रचोदयात। यह मंत्र दांपत्य मं प्रेम संबंध को भी प्रगाढ़ बनाता है।
रूठे हुए जीवनसाथी को मनाने के लिए तो यह मंत्र रामवाण की तरह कार्य करता है। यदि जीवनसाथी लाख मनाने पर भी मानने के तैयार नहीं हो उसकी आपके प्रति गलतफहमी दूर नहीं हो रही हो तब ऐसी स्थिति में जीवनसाथी के सामने जाएं। अपनी सच्ची भावना को प्रकट करें। संभव हो तो अपनी किसी भूल के लिए क्षमा मांगें। यह सब करने से पहले नीचे दिए गए मंत्र का प्रतिदिन दिन सुबह, दोपहर और रात्री में 108 बार जाप करें। ऐसा तबतक करें जबतक कि जीवनसाथी का दिल पिघल न जाए और आपके प्रति वह वशीभूत न हो जाए।
मंत्रः  ओम नमः काम-देवाय।

 सहल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनमदर्शनं

उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहाः     CALL-9812052465

कामदेव वशीकरण मन्त्र

क्या किसी को वशीभूत करने के लिए कामदेव वशीकरण मंत्र का प्रयोग करना चाहते है? स्त्री-पुरुष के बीच आपसी प्रेम, सौंदर्य और काम भावना के प्रति आकर्षण के लिए कामदेव को याद किया जाता है। कामदेव को लेकर हमारे धार्मिक ग्रंथों में कई मान्याताएं हैं और इनके संबंध भगवान शिव, ब्रह्मा, गंधर्व के अतिरिक्त प्रेम व आकर्षण की देवी रति के साथ बताए गए हं। कामदेव से जुड़ी कई पौराणिक गाथाएं भी मशहूर हैं, तो इनकी आराधना स्त्री-सम्मोहन या वशीकरण के लिए श्रेष्ठ बताया गया है, तो इसके लिए खास मंत्रजाप की महत्ता बताई गई है।
कामदेव वशीकरण मन्त्र
कामदेव वशीकरण मन्त्र
कौन हैं कामदेव?
अथर्ववेद के अनुसार ‘काम’ का अर्थ कामेच्छा या आकर्षण से है तो ‘देव’ का अर्थ विशिष्ट शख्सियत से होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के पुत्र हैं, जिनका विवाह रति के साथ हुआ। रति को सौंदर्य, सम्मोहन और प्रेम की देवी कहा गया है। कामदेव को ही अर्धदेव या गंधर्व भी कहा गया है, जिन्हें स्वर्गलोक के वासियों में कामेच्छा जगाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया था।
शिव महापुराण की एक कथा के अनुसार भगवान शिव की पत्नी सती ने अपने पिता के द्वारा पति के अपमानित होने पर यज्ञ की अग्नि में आत्मदाह कर लिया था। सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव काफी आहत और विचलित होने के बाद सभी तरह के बंधनों और रिश्ते-नाते को तोड लिया था। तमाम सांसारिक मोह-माया को त्यागकर तप में लीन हो गए थे। उनके इस तप को कामदेव ने ही अपने तीर से भंग किया था और उनमें देवी पार्वती के प्रति वशीकरण की भावना विकसित की थी।
कामदेव का संबंध भले ही प्रेम और कामेच्छा से हो, लेकिन जीवन में इनकी सकारात्मक भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। यह कह सकते हैं कि कामदेव व्यक्ति को न केवल ऊर्जान्वित करने वाले देव हं, बल्कि इनकी उपयोगिता और उपस्थिति संबंध के तकाजे पर सम्मोहन को भी परिभाषित करता है। पश्चिमी देशों में क्यूपिड और यूनानी देशों में इरोस के नाम से प्रेम का प्रतीक माने गए कामदेव ही हैं, जिन्हें हिदूं ग्रंथों में प्रेम और सम्मोहन के देवता की संज्ञा दी गई है।
क्या है कामदेव वशीकरण मन्त्र?
सुंदर ताते जैसा दिखने वाले पक्षी के सुनहले पंखों पर सवारी करने वाले कामदेव सुदर्शन युवक की तरह दिखते हैं, जो अपनी हाथों में मोहक और मादक सुगंधों वाले फूलों के वाण लिए होते हैं। उनके इसी स्वरूप के अनुसार उनमें विपरीत लिंग के व्यक्ति को अकर्षित करने की अद्भुत क्षमता होती है। प्रेम को या फिर परिणय के उपरांत बने वाले नए संबंध में मधुरता लानी हो, कामदेव की उपासना को महत्वपूर्ण माना गया है। यह तंत्र-मंत्र विज्ञान से संभव हो पाता है। यह कहा जा सकता है किसी प्रेमिका या पत्नी को वश में करने के लिए कामदेव एकमात्र अनूठे और सर्वज्ञेष्ठ देवता हैं।
कामदेव वशीकरण मंत्र साधना 
कामदेव की आराधना उनके क्लं मंत्र से की जाती है। इस मंत्र को अनुष्ठानिक विधियों के अनुसार उपयोग करने पर मनोवांछित लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। कामदेव के क्लीं मंत्र का प्रतिदिन पाठकर  सामने वाले व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में मनोवांछित संवेदना जागृत की जा सकती है। इससे उत्पन्न संवेदनशीलता से न केवल भावनात्मक सम्मोहन होता है और वे दूसरे की प्रशंसा करने लगते हैं, बल्कि स्त्री-पुरुष के बीच शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता है।
इसके मंत्र का जाप 21 दिनों तक 108 बार सूर्योदय से पहले और रात्री में करने की सलाह दी जाती है। सच्चे मन और ध्यान से जाप करने से कामदेव मंत्र की सिद्धि हो जाती है, जिससे न केवल किसी व्यक्ति को आकर्षित किया जाता है, बल्कि उसके सम्मोहन या वशीकरण को बनाए भी रखा जा सकता है। परंतु हां, कुछ आवश्यक शर्तों के तौर पर मंत्र जाप के दिनों में शाकाहारी भोजन करना आवश्यक है।
मंत्र जाप की समाप्ति के बाद पूर्णहुती हवन, तर्पण और मर्जन के द्वारा विधि-विधान के साथ किया जाता है। जाप के क्रम में प्रिय व्यक्ति की पसंद का फल या कोई मिठाई रखें तथा अभिमंत्रित खाने की वस्तु को सम्मोहन किए जाने वाले व्यक्ति को खिलाएं। इसका चमत्कारी प्रभाव देखने को मिलता है। इसके प्रयोग की खास बात यह है कि इसका किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है।
कामदेव वशीकरण का मुख्य मंत्र इस प्रकार हैः-
ओम नमो भगवते काम-देवाय श्रीं सर्व-जन-प्रियाय
सर्व-जन-सम्मोहनाय
ज्वल-ज्वल, प्रज्वल-प्रज्वल, हन-हन, वद-वद, तप-तप,
सम्मोहय-सम्मोहय, सर्व-जनं मे वशं कुरु-कुरु स्वाहा।
यह मंत्र इतना अधिक प्रभावशाली है कि इसके प्रतिदिन छह हजार बार जाप करने से शुत्र या फिर लंबे समय से रूठी पत्नी या गलतफहमी की शिकार हुई प्रेमिका तक को वशीभूत किया जा सकता है। इस मंत्र की कुछ खूबियां इस प्रकार हैंः-
  • प्रेमियों को इस मंत्र से न केवल समस्त वाधाएं दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि उनका प्रेम वासना रहित निश्छलता लिए हुए सभी के द्वारा सहर्ष स्वीकार्य होता है। यह कहें कि उनके प्रेम-संबंध की विश्वसनीयता बढ़ जाती है और पारिवारिक-सामाजिक प्रतिष्ठा में कोई कमी नहीं आती है।
  • यदि आप विपरीत लिंग के प्रिय व्यक्ति को आकर्षित करना चाहते हैं तो इस मंत्र का नियमित कम-से-कम 11 बार या 108 बार जाप कर सकते हैं।
  • दांपत्य जीवन में तनाव और अनावश्यक झगड़े से आई रिश्ते की कड़वाहट को इस सिद्ध मंत्र के जाप से खत्म किया जा सकता है।
  • कामदेव वशीकरण मंत्र के द्वारा यौन क्षमता बढ़ाने में भी मदद मिलती है। कामदेव का शाबर मंत्र से शुक्र ग्रह को शक्तिशाली प्रभाव का बनाया जा सकता है तरे कामदेव को खुश किया जा सकता है। वह मंत्र हैः- ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहाः। ऐसा विश्वास है कि इस मंत्र से न केवल जीवनसाथी के प्रति सम्मोहन शक्ति बढ़ती है, बल्कि यौन क्षमता में भी वृद्धि होती है।
  • यदि किसी को सुयोग्य जीवन साथी की तलाश हो तो वे इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। मंत्र हैः- ओम कामदेवाय विद्महेरति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंत प्रचोदयात। यह मंत्र दांपत्य मं प्रेम संबंध को भी प्रगाढ़ बनाता है।
  • रूठे हुए जीवनसाथी को मनाने के लिए तो यह मंत्र रामवाण की तरह कार्य करता है। यदि जीवनसाथी लाख मनाने पर भी मानने के तैयार नहीं हो उसकी आपके प्रति गलतफहमी दूर नहीं हो रही हो तब ऐसी स्थिति में जीवनसाथी के सामने जाएं। अपनी सच्ची भावना को प्रकट करें। संभव हो तो अपनी किसी भूल के लिए क्षमा मांगें। यह सब करने से पहले नीचे दिए गए मंत्र का प्रतिदिन दिन सुबह, दोपहर और रात्री में 108 बार जाप करें। ऐसा तबतक करें जबतक कि जीवनसाथी का दिल पिघल न जाए और आपके प्रति वह वशीभूत न हो जाए।
मंत्रः  ओम नमः काम-देवाय।
 सहल सहद्रश सहमसह लिए वन्हे धुनन जनमदर्शनं
उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहाः    CALL - 9812052465

मोहिनी वशीकरण मंत्र

किसी को भी मोहिनी वशीकरण मंत्र का प्रयोग करके वश में किया जा सकता है | आज के इस भौतिकवादी आधुनिक युग में हर व्यक्ति अपने जीवन में अच्छा रहन-सहन, निर्वाधित जीवनयापन, सुखद संबंध-सरोकार और मधुरता लिए प्रेम-संबंध की मनोकामना करता है। सभी तरह की सुख-सुविधाओं और भौतिक सुखों की कामनाओं की पूर्ति तंत्र-मंत्र-यंत्र के अंतर्गत मोहनी वशिकरण मंत्र से संभव है। व्यक्ति जीवन में सतत प्रेम के प्रवाह को इस मंत्र के जाप और साधना से प्राप्त कर सकता है, तो उसके पिछले पापों का खात्मा भी इसी से संभव है। प्रेमियों के लिए तो मोहिनी  वशीकरण मंत्र अचूक साबित होता है। इस मंत्र के प्रभाव से उनका मनचाहा या कहें मनोवांछित प्रेम अवश्य हासिल होता है। इस बारे में विभिन्न उपायों की चर्च से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि आखिर मोहनी हैं कौन, जिनका आवाह्न और स्मरण मंत्र के जाप मात्र से किया जाता है।
मोहिनी वशीकरण मंत्र
मोहिनी वशीकरण मंत्र
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मोहनी महाशक्ति योगमाया से प्रकट हुई एक अप्रतिम सुंदरता लिए अद्भुत शक्ति की देवी है। इनके प्रकट होने के पीछे की एक कथा भगवन विष्णु और समुद्र के मंथन की घटना से संबंधित है। एक बार जब समुद्र मंथन का कार्य काफी तीब्रता से चल रहा था तब भगवान विष्णु इस बात को लेकर काफी चिंतातुर थे कि देवों के प्रयास को दानवों ने कमजोर कर दिया था। उसी समय महाशक्ति योगमाया प्रकट हुई और उनसे चिंता का कारण जानना चाहा। भगवान विष्णु ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘देवी समुद्र मंथन में देवों पर दानव भारी पड़ रहे हैं। मायावी दानव माया और छल-बल का प्रयोग कर देवों को पराजित कर दे रहे हैं। देवी, मुझे आशंका है कि दानव यहां से निकलने वाले अमृत पर अपना अधिकार न जमा लें या देवों से झपट न लें।’’
महामाया ने कहा, ‘‘भगवन्! आपको तनिक भी चिंता की आवश्यकता नहीं है। इसका उपाय मेरे पास है। मैं आपके शरीर में अति सूक्ष्म रूप में प्रवेश कर जाऊंगी, जिससे आपकी सारी चिंता दूर हो जाएगी।’’ उसके बाद महामाया एक अतिसुंदर रूप धारण कर भगवान विष्णु मे प्रवेश कर गई। उसके परिणाम स्वरूप उनका स्त्री-रूप असाधरण सौंदर्य बिखेरने वाल बन गया। उनके रूप-सौंदर्य को देखकर सारा ब्रह्मांड स्तब्ध रह गया।
विष्णु के नारी रूप में जो सौंदर्य और आकर्षण था वह अद्भुत था। कहते हैं कि भागवान शिव भी इस रूप को देखकर अचंभित हो गए थे। उसी रूपवती ने अपने सौंदर्य, विवेक और बौद्धिकता से दानवों द्वारा छिन लिए गए अमृत कलश को हासिल कर लिया और उससे सभी देवों को अमृत पान करवाया। भगवान विष्णु का वही सुंदर स्त्री-रूप विश्व मोहिनी कहलाई। एसी मान्यता है कि वह समस्त प्राणियों में आकर्षण की क्षमता जगृत करती है।
देवी योगमाया का यह रूप प्रेमी युगल में अटूट प्रेम प्रदान करता है और उन्हें प्रेम-विवाह में सफलता की कामना पूरी होती है। असफल पे्रमियों के लिए देवी माहिनी की साधना बहुत ही फलदायी है। प्रेम में सफलता के लिए वशीकरण मंत्र ‘‘ओम लक्ष्मी नारायणाय नमः!’’ का जाप शुक्ल पक्ष में गुरुवार को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने किया जाता है। यह जाप तीन महीने तक प्रत्येक गुरुवार को तीन स्फटिक की माला से किया जाना चाहिए। जाप के बाद मंदिर में फूल-प्रसाद चढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रेमियों के बीच आकर्षण शक्ति बढ़ाने का भी एक मंत्र हैः– ओम क्लीं कृष्णाय गोपीजन बल्लभाय स्वाहाः!
एकादशी के दिन से शुरू किए जाने वाले इस पूजन के लिए विधिनुसार लाल रंग के परिधान में पूरब दिशा की ओर मुख किया जाता है। सामने एक छोटी से चैकी पर लाल कपड़े के ऊपर देवी मोहिनी की मूर्ति या फिर उनके स्थान पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित की जाती है। देवी को श्रृंगार सामग्री के साथ सात किस्म की मिठाई का भोग लगाया जाता है। मूर्ति के ठीक सामने तिल के तेल का दीपक जलाया जाता है ओर फिर देवी की फल, फूल, दीप, धूप, नैवेद्य, अक्षत से पूजा की जाती है। उसके बाद स्फटिक या मोती की माला से देवी के मंत्र का जाप किया जाता है। इस तरह से सात दिनों तक पूजन के दौरान नौ हजार बार मंत्र का जाप किया जाता है।
मोहिनी वशीकरण सिद्धि मंत्र के जाप के दौरान पे्रमी युगल को कुछ सतर्कता भी बरतने और दूसरे साधारण उपाय करने की भी जरूरत है। वे उपाय हैंः-
  • प्रेमियों को चाहिए कि वे कभी भी शनिवार और अमावस्या के दिन एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं हों। ऐसा कर प्रेमी-युगल आपसी बाद-विवाद या बुरे प्रभाव से अपने प्रेम को बचा लेंगे। कारण इन दिनों में मिलने वे बेवजह का विवाद उत्पन्न हो सकता है।
  • इसी तरह से प्रेमियों को यह कोशिश करनी चाहिए कि उनकी मुलकात शुक्रवार और पूर्णिमा के दिन अवश्य हो। यदि पूर्णिमा को शुक्रवार हो तो यह दिन प्रेमियों के मिलन के लिए अत्यंत ही शुभ होता है। इस दिन उनके मिलने से परस्पर आकर्षण बढ़ूता है और प्रेम की मधुरता प्रगाढ़ होती है।
  • प्रेमी द्वारा एमरल्ड यानि पन्ना की अंगूठी धारण करने से प्रेमिका का उसके प्रति आकर्षण में प्रबलता आती है। प्रेमियों को चाहिए कि वे अपने प्रेम की सफलता के लिए एक-दूसरे के कुशलता की कामना सच्चे दिल से करें। किसी धार्मिक स्थान पर सफेद परिधान में जाएं। उस धर्म-स्थल पर चमेली या लाल गुलाब का इत्र के साथ ईश्वर की स्मरण करते हुए अपने प्रिय के आकर्षण की कामना करें।
  • यह उपाय पति-पत्नी के आपसी मरमुटाव को दूर कर सकता है, जो रोजमर्रे की समस्याओं को भी दूर भगा सकता है। इसे स्त्री और पुरुष दोनों के द्वारा किया जा सकता है।
मोहिनी  वशीकरण के लिए साबर मंत्र भी काफी असरकारी होता है। इसके प्रयोग के लिए कोई भी रविवार उपयुक्त है। विधि की शुरुआत रात बारह बजे शांत-एकांत कमरे या खुले में उत्तर दिशा की ओर लाल रंग का आसन बिछा कर की जाती है। आवश्यक सामाग्री के तौर पर दो लौंगी, गूगल या लौबान की अगरबत्ती, दीपक, सरसों का तेल, पांच गुलाब के फूल और पांच किस्म की मिठाई है।
आसन पर बैठकर अपने सामने फूल, लौंग, मिठाई रखें और सरसो तेल का दीपक जलाने के बाद गूगल या लौबान की अगरबत्ती जलाई जाती है। पूजन के इस साधारण तरीके के बाद प्रिय के नाम 41 बार साबर मंत्र का जाप किया जाता है। मंत्र जाप के बाद लौंगों पर फूंक मारना जरूरी है। फिर लौंग को संभालकर रख ली जाती है, जबकि फूल और मिठइयों को नदी में बहा दिया जाता है।
यह प्रक्रिया सात दिनों तक दुहराई जाती है और हर दिन ताजे फूल और मिठाई का उपयोग किया जाता है। सात दिन के बाद संभालकर रखे गए लौंग को वशीकरण करने वाले प्रिय की पीठ पर मारा जाता है। उसके बाद प्रिय का सम्मोन बढ़ना सुनिश्चित है। साबर मंत्र इस प्रकार हैः-
तेल-तेल महातेल! दूखूं री मोहिनी तेरा खेल!!
लौंग, लौंगा, लौंगा! बैर एक लौंग मेरी आती-पाती
दूसरी लौंग दिखाए छाती, रूठे को मना लाए, बैठे को उठा लाए
सोए को जगा लाए, चलते-फिरते को लिवा लाए
आकाश जोगनी, पताल का सिद्ध!
(वश करने वाले का नाम) को लाग लाग री मोहिनी, तुझे भैरों की आन!!
यह मंत्र तभी कारगर साबित हो सकता यदि प्यार को पाने के प्रयास में भी सहजता बनाए रखनी होगी। अपनी प्रेमाभिव्यक्ति की भावना शुद्धता और निःस्वार्थ भाव से जागृत करनी होगी।  वशीकरण का यह मंत्र सुंदर-से-सुंदर स्त्री के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि देवी मोहिनी तनाव मुक्ति और कठिन परिस्थितयों से बाहर निकालने में हर किसी की मदद करती है। CALL - 9812052465

इंद्रजाल वशीकरण मंत्र

वशीकरण के विभिन्न उपायों में तंत्र, मंत्र, यंत्र और टोटके का विशेष महत्व है, जिनका गहरा संबंध इंद्रजाल वशीकरण मंत्र से भी है। इस बारे में कई मान्यताएं और नामाकरण हैं। कोई इसे काला जादू, मायाजाल या तिलस्मी कहता है, तो कोई इसके वशीकरण के अटूट टोटके और उपायों वाला मानता है। वैसे इसमें मायावी या क्षणभर में भ्रमित कर देने वाली अदभुत विद्या का भंडार है, जिसकी बदौलत वशीकरण और सम्मोहन के अतिरिक्त रोजमर्रे की जिंदगी में आने वाली अज्ञात बधाओं को भी दूर किया जा सकता है। इसका असर और सच इसके प्रति अटूट विश्वास पर निर्भर करता है, जो अति प्राचीन काल से किया जाता रहा है।
ऐसी मान्यता है कि इ्रद्रजाल वशीकरण की कल्पना, वर्णन और व्यवहारिक उपयोग भगवान दत्तात्रेय द्वारा की गई थी, जिसका वर्णन चाणक्य के अर्थशास्त्र, ओडिशा के राजा प्रताप रूद्रदेव की बहुर्चित ग्रंथ कौतुक चिंतामणी और सोमेश्वर के मानसोल्लास में भी किया गया है। इसमें तरह-तरह के अचंभित कर देने वाले प्रयोगों को बताया गया है, जिसके लिए घोर साधना, अनुष्ठान और अभियान की आवश्यकता होती है। इसका रहस्य आज की अत्याधुनिकता और विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं के बावजूद अनबूझ बना हुआ है। इस विद्या को आत्मसात करना और सहजता के साथ उपयोग में लाना सबके वश की बात नहीं है। यही वजह है कि कोई इसे भ्रमजाल कहता है, तो किसी के लिए महज तिलस्म के सिवाय और कुछ नहीं।
इंद्रजाल वशीकरण
इंद्रजाल वशीकरण
ऐसी जनश्रुति है कि इसके इस्तेमाल से आंख, मन और मस्तिष्क पलक झपकते ही धोखा खा जाते हं। इस विद्या यानि इंद्रजाल के जानकार और उपयोग करने वाले ऐंद्रजालिक कहे जाते हैं। वे इसमें समाहित संपूर्ण तंत्र, मंत्र और यंत्र के विद्वान होते हैं, जिनका उपयोग समस्याओं के सामाधान और हित के लिए करते हैं। उनकी मंशा किसी के अहित करने की नहीं होती है। वैसे उनकी नजर मं यह बौद्धिकता से भरी एक करामाती प्रयोग से असरकारी बनता है, जिनसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की स्थितियां पैदा की जा सकती हैं। यहां दोनों तरह के प्रभाव व्यक्ति विशेष की जरूरतों पर निर्भर करता है। यानि कि जो बातें किसे के लिए बहुपयोगी होती हैं, वही दूसरे के लिए निरर्थक या नुकसानदायक हो सकती हैं। परंतु इसका प्रयोग अगर मानवीयता के विरूद्ध किया जाए तो उसे किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकारा नहीं जा सकता है।
इंद्रजाल को समझना सरल नहीं है, क्योंकि इसमें वर्णित सारी बातें प्रतीकों, मुहाबरों और संकेतों के जरिए कही गई हैं। हालांकि इनमें वैदिक मंत्र, अभिमंत्रित यंत्र या फिर इस्लामिक टोटके और सीधा वार करने वाले शाबर मंत्रों का अद्भुत संग्रह है। इसमें संकलित भगवान शिव को समर्पित तंत्र – मंत्र – यंत्र के बारे में इसके जनक दत्तात्रेय का कहना है:-
ब्रह्मण काम क्रोध वश रहेऊ,
त्याहिकरण सब कीलित भयऊ,
कहौ नाथ बिन कीलेमंत्रा,
औरहु सिद्ध होय जिमितंत्रा।
इनमें शिव-दत्तात्रेय वार्तालाप के क्रम में भगवान शिव द्वारा बताए गए तांत्रिक प्रयोग हैं, जिससे षटकर्मों (शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारण) में किए जाने वाले तांत्रिक प्रयोगों का संपूर्णता के साथ विवरण दिया गया है। रोग, कृत्य और ग्रह आदि का निवारण शांतिकरण है तथा अधिसंख्य लोगों या बड़ी संख्या में मनुष्यों को वश में कर लेना वशीकरण है। चलते हुए को रोकना स्तंभन और परस्पर मित्रता या मधुर संबंधों की प्रगाढ़ता में दुश्मनी उत्पन्न करन विद्वेश एवं स्वदेश से निकलकर दूसरे देश में जा वसना उच्चाटन कहलाता है। इनके अतिरिक्त जीवधारियों के प्राण लेना मारण कहा गया है। इसके अतिरिक्त इसमें रसायन विज्ञान, औषधि विज्ञान आदि के बारे मं चर्चा की गई है।
इंद्रजाल वशीकरण में यौन-दोष संबंधी स्तंभन, प्रेत-पिशाच, डाकिनी आदि के निवारण संबंधी उच्चाटन और दुश्मन को खत्म करने के मारण जैसे उपाय तक बताए गए हैं। इनसे संबंधित सटीक मंत्र और तंत्र का प्रयोग करने वाले तांत्रिक की अपनी खास विशिष्टता होती है। वैसे इस आधार पर भ्रमित करने वाले अधकचरी जानकारी वाले तांत्रिक की वजह से ही इसे काला जादू कहा गया है, जो अर्थहीन और अहितकारी होता है। रहस्मयी इंद्रजाल के बारे में चाणक्य के अनुयायी कामंदक ने कहा है कि इसके जरिए किसी शासक या राजनेता द्वारा लोगों को सामूहिक तौर पर वशीभूत किया जा सकता है। जबकि यदि उनको अपनी बातें मनवाना असान नहीं है, क्योंकि वे तर्क-वितर्क करते हैं या फिर आक्रमण कर सकते हैं।
इंद्रजाल वशीकरण की साधना सरल इसलिए नहीं है, क्योंकि इसमें तीन तरह की साधनाओं को संपूर्ण विधि-विधान के साथ एकसूत्र में पिरोया जाता है। वे यक्षिणी, अप्सरा और देव की साधनाएं हैं। इसे अभ्यास के साथ-साथ समर्पण से सीखा जा सकता है। इंद्रजाल के संदर्भ में एक और भ्रांति यह है कि यह एक समुद्री पौधे की है, जिसमें पत्तियां नहीं होती हैं। हालांकि यह कुछ पहाड़ी स्थलों पर भी मिलता है, जो मकड़ी के जाल की तरह होता है। इसे दुर्लभ और अमूल्य बताया गया है। इसकी महिमा का जिक्र डामरतंत्र, रावणसंहित और विश्वसार आदि ग्रंथों में पूजा स्थल में रखी जाने वाली वस्तु के रूप में की गई है। मान्यता के मुताबिक इसके विधि-विधान के साथ साफ कपड़े में लपेटकर पूजाघर में रखने से कई तरह के लाभ होते हैं। इसके प्रभाव से घर को भूत-प्रेत, जादू-टोना, बुरी नजर से बचाया जा सकता है। कुछ तांत्रिक इसकी लकड़ी को गले में पहनने की सलाह देते हैं, जिससे आकस्मिक आने वाली या बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
इंद्रजाल तंत्र मंत्र में वर्णित कुछ बातें अजूबा इसलिए लगती हैं, क्यांकि ये चमत्कार जैसे होते हैं।  जैसे- नींबू से खून निकलना। छलनी में पानी जमा हो जाना। अंडे का स्वतः उछल-कूद करना, घंटेभर में पौधे का बड़ा हो जाना, आग में कपड़े का नहीं जलना, देखते ही देखते साफ आकाश में बादल छा जाना इत्यादी। इन सबके पीछे विज्ञान की विविधा शाखाएं काम करती हैं, जिसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाते हैं और यह उनको भ्रमित कर देती है। इंद्रजाल पढ़ने या इसके इस्तेमाल संबंधित कुछ तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए जो हिदायतें भी हो सकती हैं। वे इस प्रकार हैंः-
  • इंद्रजाल के मंत्रों का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि इस मंत्र से जल को फूंककर किसी को पिलाया जाए तो वह व्यक्ति विक्षिप्त हो सकता है। इसका प्रयोग बगैर किसी मुहूर्त के कभी भी किया जा सकता है। इस बारे में एक दोह है- व्रत तिथिवासर नियम नहीं, हवन नक्षत्तर नहीं, तंत्र मंत्र साधन करैं, शीघ्र सिद्धि हव्ैजाहिं।
  • इंद्रजाल की पुस्तक को लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। शीघ्र भावना में बह जाने वाले या किसी आत्मा के प्रभाव में आए हुए व्यक्ति को इसका मंत्र नहीं पढ़ना चाहिए। इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इंद्रजाल की पुस्तक को बंद कमरे में पढ़ना चाहिए। खुले आकाश के में पढ़ने से नकारात्मक शक्तियां हावि हो सकती हैं। हालांकि इसके मंत्र को अकेल में पढ़ने का भी नुकसान हो सकता है। मनोभावना कलुषित हो जाती है।
इसके कुछ चर्चित मंत्र इस प्रकार हैं:- 
  1. पुरुष वशीकरणः ओम नमो माहयक्षिणी पतिं मे वश्यं कुरु कुरु स्वाह। जाप सिद्धि संख्या– 108
  2. राजा-प्रजा मोहिनीः ओम नमो अरुंठनी असव स्थनी महाराज छनी फट् स्वाहा राजा प्रजा के लोग सारे मोहें।
  3. सत्ता प्राप्तिः ओम नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने अमुकं मही पतिं में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
  4. रोग नाशकः ओम नमो हिरहराय रसायनसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा। CALL - 9812052465

इंद्रजाल वशीकरण मंत्र

वशीकरण के विभिन्न उपायों में तंत्र, मंत्र, यंत्र और टोटके का विशेष महत्व है, जिनका गहरा संबंध इंद्रजाल वशीकरण मंत्र से भी है। इस बारे में कई मान्यताएं और नामाकरण हैं। कोई इसे काला जादू, मायाजाल या तिलस्मी कहता है, तो कोई इसके वशीकरण के अटूट टोटके और उपायों वाला मानता है। वैसे इसमें मायावी या क्षणभर में भ्रमित कर देने वाली अदभुत विद्या का भंडार है, जिसकी बदौलत वशीकरण और सम्मोहन के अतिरिक्त रोजमर्रे की जिंदगी में आने वाली अज्ञात बधाओं को भी दूर किया जा सकता है। इसका असर और सच इसके प्रति अटूट विश्वास पर निर्भर करता है, जो अति प्राचीन काल से किया जाता रहा है।
ऐसी मान्यता है कि इ्रद्रजाल वशीकरण की कल्पना, वर्णन और व्यवहारिक उपयोग भगवान दत्तात्रेय द्वारा की गई थी, जिसका वर्णन चाणक्य के अर्थशास्त्र, ओडिशा के राजा प्रताप रूद्रदेव की बहुर्चित ग्रंथ कौतुक चिंतामणी और सोमेश्वर के मानसोल्लास में भी किया गया है। इसमें तरह-तरह के अचंभित कर देने वाले प्रयोगों को बताया गया है, जिसके लिए घोर साधना, अनुष्ठान और अभियान की आवश्यकता होती है। इसका रहस्य आज की अत्याधुनिकता और विज्ञान प्रदत्त सुविधाओं के बावजूद अनबूझ बना हुआ है। इस विद्या को आत्मसात करना और सहजता के साथ उपयोग में लाना सबके वश की बात नहीं है। यही वजह है कि कोई इसे भ्रमजाल कहता है, तो किसी के लिए महज तिलस्म के सिवाय और कुछ नहीं।
इंद्रजाल वशीकरण
इंद्रजाल वशीकरण
ऐसी जनश्रुति है कि इसके इस्तेमाल से आंख, मन और मस्तिष्क पलक झपकते ही धोखा खा जाते हं। इस विद्या यानि इंद्रजाल के जानकार और उपयोग करने वाले ऐंद्रजालिक कहे जाते हैं। वे इसमें समाहित संपूर्ण तंत्र, मंत्र और यंत्र के विद्वान होते हैं, जिनका उपयोग समस्याओं के सामाधान और हित के लिए करते हैं। उनकी मंशा किसी के अहित करने की नहीं होती है। वैसे उनकी नजर मं यह बौद्धिकता से भरी एक करामाती प्रयोग से असरकारी बनता है, जिनसे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की स्थितियां पैदा की जा सकती हैं। यहां दोनों तरह के प्रभाव व्यक्ति विशेष की जरूरतों पर निर्भर करता है। यानि कि जो बातें किसे के लिए बहुपयोगी होती हैं, वही दूसरे के लिए निरर्थक या नुकसानदायक हो सकती हैं। परंतु इसका प्रयोग अगर मानवीयता के विरूद्ध किया जाए तो उसे किसी भी दृष्टिकोण से स्वीकारा नहीं जा सकता है।
इंद्रजाल को समझना सरल नहीं है, क्योंकि इसमें वर्णित सारी बातें प्रतीकों, मुहाबरों और संकेतों के जरिए कही गई हैं। हालांकि इनमें वैदिक मंत्र, अभिमंत्रित यंत्र या फिर इस्लामिक टोटके और सीधा वार करने वाले शाबर मंत्रों का अद्भुत संग्रह है। इसमें संकलित भगवान शिव को समर्पित तंत्र – मंत्र – यंत्र के बारे में इसके जनक दत्तात्रेय का कहना है:-
ब्रह्मण काम क्रोध वश रहेऊ,
त्याहिकरण सब कीलित भयऊ,
कहौ नाथ बिन कीलेमंत्रा,
औरहु सिद्ध होय जिमितंत्रा।
इनमें शिव-दत्तात्रेय वार्तालाप के क्रम में भगवान शिव द्वारा बताए गए तांत्रिक प्रयोग हैं, जिससे षटकर्मों (शांति कर्म, वशीकरण, स्तंभन, विद्वेषण, उच्चाटन और मारण) में किए जाने वाले तांत्रिक प्रयोगों का संपूर्णता के साथ विवरण दिया गया है। रोग, कृत्य और ग्रह आदि का निवारण शांतिकरण है तथा अधिसंख्य लोगों या बड़ी संख्या में मनुष्यों को वश में कर लेना वशीकरण है। चलते हुए को रोकना स्तंभन और परस्पर मित्रता या मधुर संबंधों की प्रगाढ़ता में दुश्मनी उत्पन्न करन विद्वेश एवं स्वदेश से निकलकर दूसरे देश में जा वसना उच्चाटन कहलाता है। इनके अतिरिक्त जीवधारियों के प्राण लेना मारण कहा गया है। इसके अतिरिक्त इसमें रसायन विज्ञान, औषधि विज्ञान आदि के बारे मं चर्चा की गई है।
इंद्रजाल वशीकरण में यौन-दोष संबंधी स्तंभन, प्रेत-पिशाच, डाकिनी आदि के निवारण संबंधी उच्चाटन और दुश्मन को खत्म करने के मारण जैसे उपाय तक बताए गए हैं। इनसे संबंधित सटीक मंत्र और तंत्र का प्रयोग करने वाले तांत्रिक की अपनी खास विशिष्टता होती है। वैसे इस आधार पर भ्रमित करने वाले अधकचरी जानकारी वाले तांत्रिक की वजह से ही इसे काला जादू कहा गया है, जो अर्थहीन और अहितकारी होता है। रहस्मयी इंद्रजाल के बारे में चाणक्य के अनुयायी कामंदक ने कहा है कि इसके जरिए किसी शासक या राजनेता द्वारा लोगों को सामूहिक तौर पर वशीभूत किया जा सकता है। जबकि यदि उनको अपनी बातें मनवाना असान नहीं है, क्योंकि वे तर्क-वितर्क करते हैं या फिर आक्रमण कर सकते हैं।
इंद्रजाल वशीकरण की साधना सरल इसलिए नहीं है, क्योंकि इसमें तीन तरह की साधनाओं को संपूर्ण विधि-विधान के साथ एकसूत्र में पिरोया जाता है। वे यक्षिणी, अप्सरा और देव की साधनाएं हैं। इसे अभ्यास के साथ-साथ समर्पण से सीखा जा सकता है। इंद्रजाल के संदर्भ में एक और भ्रांति यह है कि यह एक समुद्री पौधे की है, जिसमें पत्तियां नहीं होती हैं। हालांकि यह कुछ पहाड़ी स्थलों पर भी मिलता है, जो मकड़ी के जाल की तरह होता है। इसे दुर्लभ और अमूल्य बताया गया है। इसकी महिमा का जिक्र डामरतंत्र, रावणसंहित और विश्वसार आदि ग्रंथों में पूजा स्थल में रखी जाने वाली वस्तु के रूप में की गई है। मान्यता के मुताबिक इसके विधि-विधान के साथ साफ कपड़े में लपेटकर पूजाघर में रखने से कई तरह के लाभ होते हैं। इसके प्रभाव से घर को भूत-प्रेत, जादू-टोना, बुरी नजर से बचाया जा सकता है। कुछ तांत्रिक इसकी लकड़ी को गले में पहनने की सलाह देते हैं, जिससे आकस्मिक आने वाली या बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
इंद्रजाल तंत्र मंत्र में वर्णित कुछ बातें अजूबा इसलिए लगती हैं, क्यांकि ये चमत्कार जैसे होते हैं।  जैसे- नींबू से खून निकलना। छलनी में पानी जमा हो जाना। अंडे का स्वतः उछल-कूद करना, घंटेभर में पौधे का बड़ा हो जाना, आग में कपड़े का नहीं जलना, देखते ही देखते साफ आकाश में बादल छा जाना इत्यादी। इन सबके पीछे विज्ञान की विविधा शाखाएं काम करती हैं, जिसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझ पाते हैं और यह उनको भ्रमित कर देती है। इंद्रजाल पढ़ने या इसके इस्तेमाल संबंधित कुछ तथ्य पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए जो हिदायतें भी हो सकती हैं। वे इस प्रकार हैंः-
  • इंद्रजाल के मंत्रों का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि इस मंत्र से जल को फूंककर किसी को पिलाया जाए तो वह व्यक्ति विक्षिप्त हो सकता है। इसका प्रयोग बगैर किसी मुहूर्त के कभी भी किया जा सकता है। इस बारे में एक दोह है- व्रत तिथिवासर नियम नहीं, हवन नक्षत्तर नहीं, तंत्र मंत्र साधन करैं, शीघ्र सिद्धि हव्ैजाहिं।
  • इंद्रजाल की पुस्तक को लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। शीघ्र भावना में बह जाने वाले या किसी आत्मा के प्रभाव में आए हुए व्यक्ति को इसका मंत्र नहीं पढ़ना चाहिए। इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • इंद्रजाल की पुस्तक को बंद कमरे में पढ़ना चाहिए। खुले आकाश के में पढ़ने से नकारात्मक शक्तियां हावि हो सकती हैं। हालांकि इसके मंत्र को अकेल में पढ़ने का भी नुकसान हो सकता है। मनोभावना कलुषित हो जाती है।
इसके कुछ चर्चित मंत्र इस प्रकार हैं:- 
  1. पुरुष वशीकरणः ओम नमो माहयक्षिणी पतिं मे वश्यं कुरु कुरु स्वाह। जाप सिद्धि संख्या– 108
  2. राजा-प्रजा मोहिनीः ओम नमो अरुंठनी असव स्थनी महाराज छनी फट् स्वाहा राजा प्रजा के लोग सारे मोहें।
  3. सत्ता प्राप्तिः ओम नमो भास्कराय त्रिलोकात्मने अमुकं मही पतिं में वश्यं कुरु कुरु स्वाहा।
  4. रोग नाशकः ओम नमो हिरहराय रसायनसिद्धिं कुरु कुरु स्वाहा।      CALL 9812052465